4 टटकी कविताएँ
1.
सावन का महीना
सुप्रभात,
शुभ दिवस और….
कि सावन का महीना
पवन करे शोर !
चोर और चोर
दिल का चोर !
पर आखिर
दिल माँगे क्यों मोर ?
2.
बीमार मानसून
बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त,
कोरोना से जिंदगी है लस्तपस्त !
न आगे नाथ, न पीछे पगहिया,
क्यों जाऊँ करबिगहिया ?
नए इलाकों में
ढेर ढेर आईने,
हर हैं यहाँ कमीने !
मानसून बीमार
और तभी तो
7 सेंटीमीटर बारिश,
लिए बेहतरीन ख्वाहिश !
3.
छींकिंग
छींक और छाँक,
मास्क और आस्क !
हिंदी छींक-छाँक,
और अंग्रेजी मास्क-आस्क !
महामारी में बढ़ोतरी,
ठीक होने की दर में भी बढ़ोतरी !
ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर,
जय जय हो सिकंदर !
4.
रोज मरे
रोज-रोज मर्रे,
हिप-हिप हुर्रे !
क्यों यह कहते हो वत्स ?
क्यों हुए हैं उत्स ?
ओ जानेवाले
क्या कहूँ या क्या ना कहूँ ?
आगत हो, व्यागत हो,
व्यथित हो, पतित हो !
लेकिन बावजूद
रोज-रोज मर्रे,
हिप-हिप हुर्रे !