6 आदर्श क्षणिकाएँ
1.
हमसफर
ये मेरे हमसफर,
दो बदन एक जान !
क्यों जानेजान ?
आखिर ऐसा क्यों ?
क्यों प्रासंगिक हो ?
क्यों अप्रासंगिक हो ?
घायल क्यों ?
पायल क्यों ?
आँख या काँच की गोली,
दिल या कैप्सूल या गोली !
2.
पैर भारी
आए तो ठीक,
ना आए तो भी ठीक है !
कौन हमारे, कौन तुम्हारे ?
पल पिघलेंगे,
पर कब गिनेंगे ?
एक-एक कर योजना सारी,
विपदा भारी !
पर उनके भी तो हैं,
पैर भारी;
फिर क्यों आभारी ?
3.
भौजाई
तुमने प्यार से देखा,
बगैर लेखा-जोखा !
यह अजीब दास्तान है,
आन-बान-शान है !
गरीब लोग कविता रचते हैं,
अमीरों तो धन-धान्य लिखते हैं !
बड़ लोगन, ओह भोगन !
मिलते ही तुम यार हो गया,
बाघ नहीं, सियार हो गया !
दिल को भाई,
प्रेमिका नहीं, भौजाई आई !
4.
दूसरे की बीवी
एक माट साब
बहुत देर से
दूसरे की बीवी के
इश्कयापे
मज़े ले-ले सुन रहे थे,
जब उनकी ही बीवी के
प्रेमाकर्षण पर चर्चा आयी,
वे बिलबिला गए !
भिनभिना गए !
5.
राफेल
हम स्वदेशी और
आत्मनिर्भर का
रट लगाए हुए हैं
और दूसरे देश
यानी फ्रांस से
खरीदकर लाये
‘राफेल’ के लिए
खुशियाँ जता रहे हैं !
अपने देश में ऐसी चीजें
कबतक बन पाएगी !
6.
भ्रष्टाचारी दहेजलोभी
पिछले साल
एक टीचरी ने
रिटायर्ड टीचर को टोकी-
‘वो अपने टीचर बेटे के लिए
क्या दहेज ले रहे ?’
जब हो ऐसी चर्चा,
तो दहेज रुके कैसे ?