रमेश बाबू अब भी जमींदार हैं
रमेश बाबू के खेतों को जोतनेवाले बिरजू आज गुस्से में थे, “कहने को जमींदार रह गए हैं, अकड़ कर कहते फिरेंगे, अरबों संपत्ति है, किन्तु जब टैक्स देने की बात आएगी, तो कहते हैं- जमीन तो अभी भी काफी है, किन्तु वहाँ भूसा तक नहीं होती ! इनकम ही नहीं, तो टैक्स कहाँ ? ऐसे बंजर जमीन को किसी ने बिजली विभाग को, कितने ने ईंट भट्ठा को करोड़ों में लीज़ दिए हुए हैं ! ऐसे भी सम्पन्न व्यक्ति हैं, जो अपनी बीवी को भी लीज दिए हुए हैं, खून के छोटे भाई न सही, दूर-दराज के देवरों के हवाले सही ! समाज में ऐसे कथित बड़े लोग हैं, अब भी !” इतना सुनने के बाद भी रमेश बाबू अब भी अपने को जमींदार ही कहते हैं !