सेवानिवृत्ति चॉकलेट नहीं
आज फेयरवेल की गहमागहमी है । आज अवकाशप्राप्त होने जा रहे राजेश जी माइक सँभालकर कहना शुरू किए, ”समान कार्य के समान वेतन को लेकर पटना हाईकोर्ट से जीती केस को चुनौती दे बैठे सुप्रीम कोर्ट में, बिहार की सरकार ने । बिहार के कई शिक्षक संघों ने बिहार सरकार के इस कुकृत्य को लगे हाथ स्वीकारे ! एक ही विद्यालय में कई तरह के शिक्षक…. यह बंटवारे बिहार सरकार की देन है, इनमें एक शिक्षक 1 लाख रुपये पाते हैं, तो दूजे 25,000 रुपये; जबकि दोनों के कार्य समान है, जबकि एक आदेशपाल का वेतन उसी विद्यालय में 40,000–50,000 है । बाघ-बकरी एक घाट में ! घाट भी बेड़ापार नहीं लगा पाए, नियोजित शिक्षक बहनों एवं भाइयों को….”
यह कहकर बिहार के एक नियोजित शिक्षक राजेश जी उपस-उपसकर रोने लगे और आज पद से सेवानिवृत्त हो गए एवं अल्पतम वेतन होने तथा सेवानिवृत्ति पेंशन नहीं होने के कारण अपने पोते किए टॉफी भी लेकर जा नहीं पाए !