5 व्याकुल कविताएँ
1.
अकेला हमराही
एकला चलो मीना
बाइक पर अकेले !
बाई भी अकेले !
एक मैं, एक तुम !
सुनासुन और कुमकुम !
दूजे से प्रतिस्पर्द्धा नहीं करनी है,
क्योंकि यही जगतारिणी है !
इतिहास की व्याकुलता में
सबकुछ सापेक्ष नहीं हो सकती !
पटाक्षेप भी नहीं हो सकती !
तीजे के साथ न जीना,
वरना एकला चलो मीना !
2.
तस्वीर क्यों जरूरी
ओके मैडम !
रचना महत्वपूर्ण है,
तस्वीर से क्या ?
तस्वीर में झुर्रियां भी है,
बढ़ी दाढ़ी,
पके बाल
और थकी आँख भी !
नाक से बाहर निकल गए हैं बाल
और मूँछ के बालों से उलझ रहे हैं !
3.
स्वयं ठिकिंग रहब
पड़ोसी की तरफ झांकेंगे,
तो वह समझेंगे
कि उनकी बीवी को
ताड़ रहे हैं
और उनपर लार टपका रहे हैं !
ऐसे में तन्हा ही सही,
मेरे संजू डार्लिंग !
4.
तेल पिलाना
जिसे लाभ नहीं मिला,
तो आरोप !
मिल गया, तो करप्ट !
राजनीति इसी का नाम है,
भूसे में तेल पिलाना !
पी गए, तो राम सलाम !
अन्यथा,
हम हैं आपके कौन ?
5.
सूरत या सीरत
आदमी की पहचान
सूरत से नहीं,
सीरत से होती है !
पर औरत की बात
औरत बताएंगी ?
मैं कैसे बता पाऊँगा,
उस पहेली को,
इस सहेली को !