कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ ‘ठाकुर’ से ‘टैगोर’ कैसे हो गए ?
‘सर’ रवीन्द्रनाथ ‘ठाकुर’ से ‘टैगोर’ कैसे हो गए, किसी के पास है जवाब? कविगुरु/गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कृति ‘गीतांजलि’ में उद्धृत गीतों की रचना क्या कई जगहों पर हुई हैं, यथा- रवीन्द्रनाथ के घर पर, कलकत्ता, मोरहाबादी (राँची) में, भागलपुर, पूर्णिया (बिहार) इत्यादि जगहों में ? उन्हें बांग्ला गीतांजलि पर नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुई थी या अंग्रेजी अनुवाद पर !
जब ‘रचनाओं’ पर साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते थे, तब चयन समिति अनूदित रचनाओं पर विचार नहीं करते थे ? अंग्रेजी कवि यीट्स ने गीतांजलि का अंग्रेजी अनुवाद किए थे या सिर्फ़ भूमिका लिखे थे ! अगर रवीन्द्रनाथ ही अनुवाद किए थे, तो प्रश्न यह है कि जब वे अंग्रेजी के अच्छे जानकार थे, तो अंग्रेजी में मौलिक रचना का सृजन न कर अपनी ही रचना का अंग्रेजी में अनुवाद क्यों किये ?
मैंने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act 2005) से गृह मंत्रालय, भारत सरकार से जो जानकारी प्राप्त किया है, उनके अनुसार गृह मंत्रालय के पास ‘गीतांजलि’, रबीन्द्रनाथ टैगोर या रवीन्द्रनाथ ठाकुर से संबंधित कोई जानकारी नहीं है ! क्या ठाकुर ही टैगोर है, तो कैसे ? मेरे प्रश्न अबतक अनुत्तरित है !
शोधपुस्तक ‘गीतांजलि का हिंदी अनुवाद’ के लेखक और एतदर्थ इस विषय पर गहन अध्ययन करनेवाले मेरे अभिन्न मित्र डॉ. देवेंद्र कुमार ‘देवेश’ की गीतांजलि-अध्येता लिए महती भूमिका है। हिंदी अनूदित संस्करण लिए ‘गीतांजलि’ पुस्तक की अन्यत्र अनुवाद की एक प्रति मेरे पास भी है, जो साधना पॉकेट बुक्स, दिल्ली से वर्ष 1990 में प्रकाशित है।