गीतिका/ग़ज़ल

दोहागजल

सावन महिना आ गया,बरसे जल खुब जोर
पेड़ों पर फल लद गये, नाचे मन का मोर|१

रिमझिम रिमझिम हो रही,लिये घटा संगीत
तडपे गोरी रात भर, पास नही जब मीत|२

धरती हर्षित हो रही,दिखें घटा घनघोर
पुरवायी भी कर रही,मधुर मनोहर ओर|३

सावन का मौसम सदा, होता बड़ा हसीन
लगती है इस मास में, कुदरत भी रंगीन|४

सावन का यह मॉस है,दिख रहा अधिक विचित्र
प्रकृति रच रही हर छोर,मन भावन लगे चित्र|५

सावन पूनो को हुये ,राखी का त्योहार
परस्पर बढ़ता ही रहे,भ्रात-बहन का प्यार।6

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]