दोहागजल
सावन महिना आ गया,बरसे जल खुब जोर
पेड़ों पर फल लद गये, नाचे मन का मोर|१
रिमझिम रिमझिम हो रही,लिये घटा संगीत
तडपे गोरी रात भर, पास नही जब मीत|२
धरती हर्षित हो रही,दिखें घटा घनघोर
पुरवायी भी कर रही,मधुर मनोहर ओर|३
सावन का मौसम सदा, होता बड़ा हसीन
लगती है इस मास में, कुदरत भी रंगीन|४
सावन का यह मॉस है,दिख रहा अधिक विचित्र
प्रकृति रच रही हर छोर,मन भावन लगे चित्र|५
सावन पूनो को हुये ,राखी का त्योहार
परस्पर बढ़ता ही रहे,भ्रात-बहन का प्यार।6
— रेखा मोहन