बहादुर राहुल
पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला राहुल बहुत ही समझदार बच्चा था। रोज़ की भांति जैसे ही वह स्कूल से निकला, सामने आइसक्रीम वाला नज़र आया। आइसक्रीम राहुल की कमज़ोरी थी। खुश होकर राहुल आइसक्रीम वाले की तरफ लपका।
पर यह क्या, आज रोज वाले भैया की जगह कोई और आइसक्रीम बेच रहा था। राहुल को आइसक्रीम देते हुए उसने राहुल से कहा कि अगर वह उसे आज शाम पुराने खंडहर के पास अपने दोस्तों के साथ मिलेगा तो वह रोज़ उसे मुफ़्त में आइसक्रीम दिया करेगा। राहुल ने हंसते हुए आइसक्रीम ले ली और उसे शाम को मिलने का वादा कर दिया।
राहुल को पता था कि आजकल शहर में अपहरण की घटनाएं बढ़ रही हैं। सो वह सीधा पुलिस थाने गया और इंस्पेक्टर को पूरी बात बताई।
शाम को इंस्पेक्टर के कहे अनुसार वह अपने दो दोस्तों के साथ पुराने खंडहर पर पहुंच गया। चार गुंडे उधर उन्हीं का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही उन लोगों ने बच्चों को पकड़ना चाहा, पुलिस उधर आ गई और उन्होंने गुंडों को हिरासत में ले लिया। उन गुंडों ने असली आइसक्रीम वाले को भी बन्धक बना कर रखा था। पुलिस ने उसे भी छुड़वाया।
सभी राहुल की बहादुरी की तारीफ कर रहे थे। असली आइसक्रीम वाले भइया ने तो राहुल को एक महीना फ्री आइसक्रीम देने का एलान कर दिया था।
अंजु गुप्ता