विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता ?
भारत में विदेशियों को नागरिकता कैसे प्राप्त होती है ! कई वर्षों तक यह यक्षप्रश्न रहा कि लोग इस प्रश्न के थ तक जाना चाहते थे कि श्रीमती सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता कैसी मिली ? उसने कब ली ? जबकि राजीव गांधी से उनकी शादी सम्भवत: 1966 में ही हुई थी ! किसी देश की नागरिकता ग्रहण करना, किराये के घर में रहने जैसी थोड़े ही है । क्या बचकानी बात कर रहे हैं, आप ! संविधान का अवलोकन कीजिए।
जहां तक किराये के घर में रहने की बात है, अगर मकान मालिक रसीद दे रहे हों और यह लगातार 12 वर्ष (!) तक हो ? तभी संभव हो सकता है वह घर उनका ! किन्तु मैंने ‘सकता’ लिखा ! …. पाकिस्तान के जेलों में कई वर्षों से भारतीय रह रहे हैं, तो पाकिस्तान का वह जेल उक्त भारतीय के हो जाएंगे ! …और छिपकर ‘बजरंगी भाईजान’ उर्फ़ पवन द्विवेदी भी पाकिस्तान चले गए थे ?
किसी अभियान में शामिल होने मात्र से कोई विदेशी ‘भारतीय नागरिक’ होने का दावा नहीं ठोक सकते ! अगर ऐसा होता, तो फणीश्वरनाथ रेणु नेपाल के भी नागरिक होते ! …. खान अब्दुल गफ़्फ़ार खान भारतीय नागरिक होते !
ऐसे प्रसंगों को लेकर जिनकी पीड़ा सामने आई या जो पीड़ित हुए, कवि रविभूषण पाठक जी की कविता में से होकर अपनी बात खत्म करता हूँ, यथा-
“मछलियों के रोने से कुछ नहीं होता,
बस समन्दर कुछ और खारा हो जाता,
तो मछलियों के तड़पने से बस–
शिकारियों को ज्यादा मजा आता !
मछलियों के उछलने भर से
मछुआरे ‘हरजाई’ कहकर बेचता,
कुछ अधिक दाम में !
अगर पकड़ते वक्त फिसल जाती मछलियां,
दांत या कांटे चुभ जाते हाथों में,
तो बढ़ जाता स्वाद, इन मछलियों के !
हाँ, मचलनेवाली मछलियां…..
हमारी बालिका की तरह है !”