गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

महका महका मधुबन जैसा

कोरा मन है दरपन जैसा

काली मतवाली अँखियों में

घिर आया कुछ सावन जैसा

इतना अपनापन है दिल में

लगता है घर आँगन जैसा

अँगड़ाई लेता है यौवन

रूप सजा कर दुल्हन जैसा

सौ बल खाता लहरा कर तन

दम – दम दमके कंचन जैसा

आँखों में ये क्या छलका है

बिलकुल आबे-ज़मज़म जैसा

रिश्ता हो तो प्यार भरा हो

बन ना जाये बन्धन जैसा

बालेपन में बोझ सँभाले

बचपन लगता पचपन जैसा

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]