बाबा नगरिया दूर है…..
बाबा नगरिया दूर है, जाना जरूर है…. पर इसबार 2020 में…. गंगा किनारे के वासी और शिवालय के समक्ष अबतक जगे-जगाए हम सभी जहाँ सावन माह भर ‘बोल बम’ की सुमधुर ध्वनि और काँवरियों की टोली से निःसृत झंकृत भजन को एकेश्वर में लीन दिल से लगाये हैं, इस साल कोरोनाकाल है, यह हृदयस्थ नहीं हो पाया ! …..बाबा नगरिया दूर है, जाना जरूर है….
सावन में बाबाधाम की महत्ता बढ़ जाती है ! झारनेट.कॉम के अनुसार, दशानन रावण जिसका दस सिर था भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहा था परन्तु भगवन शिव खुश नहीं हो रहे थे, तो वह एक-एक करके अपने सिर को काटकर शिवलिंग पर चढाने लगे, फिर नौ सिर चढ़ाने के बाद जब रावण 10वें सिर चढ़ानेवाला था और अपने प्राणों की आहुति देने वाला था की शिव प्रसन्न हो गये और प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और उसे वर मांगने को कहा तब रावण ने भगवान शिव को ही लंका साथ ले जाने का वरदान मांग लिया। रावण के पास सोने की लंका के अलावा बहुत सारी शक्ति तो थी साथ ही कई देवता को भी लंका में रखे हुए थे इस वजह से रावण ने इच्छा जताई कि भगवान शिव आप हमारे साथ स्वयं लंका पर रहे एवं हमारे साथ चले।
पौराणिक कथाविन्यास लिए शिव ने इसकी मनोकामना को पूरा करते हुए उसे वार दे दिया साथी साथ ही एक सर्त रखी कि अगर उन्हें शिवलिंग के रास्ते में कहीं भी रखा तो मैं फिर वही विराजमान हो जाऊंगा और नहीं उठूंगा। इधर शिव की बात सुनते ही सभी देवी-देवता चिंतित हो गए समाधान के लिए सभी भगवान विष्णु के पास गए तभी भगवान विष्णु ने उनका दुःख दूर करने की बात कही। उधर जब रावण उस शिवलिंग को लेकर जा रहा था तभी उसे रास्ते में उसे लघुशंका लगी और रावण वह शिवलिंग एक एक बैजू नामक ग्वाला को पकड़ने के लिए दे दिया और वह लघुशंका करने चला गया पर उसकी लघुशंका खत्म ही नहीं हो रही थी। वह कई घंटो तक लघुशंका करता रहा आज भी वहा एक तालाब है जिसे रावण की लघुशंका से उत्पन्न तालाब कहा जाता है।
वास्तव में बैजू नामक ग्वाला भगवन बिष्णु थे एवं ग्वाला के रुप में थे। रावण से लिया हुआ शिवलिंग वह वही स्थापित कर दिया तथा वह चला गया इसलिए इस स्थान को बैजू नामक ग्वाला नाम पर बैजनाथ भी कहा जाता है। जब रावण वापस आया तो देखा वह शिवलिंग वही स्थापित हो गयी है। वह शिवलिंग को बहुत उठाने की कोशिश की परन्तु उठा नहीं पाया अंत में उसे अंगूठे से दबा कर वही पर छोड़ कर चला गया। यह शिवलिंग झारखण्ड के देवघर में स्थित बैजनाथधाम अथवा बाबाधाम से जाना जाता है।