बाल गीत: आपके-हमारे- 6
2.कवि का लहू
उबल पड़ा है लहू कवि का,
उसने सबको जगाया है,
नाचेगा अरि अपने आगे.
साहस हमने पाया है.
भारत के वीर सपूतों से,
दुश्मन न अब बच पायेगा,
जल-थल-नभ में छिपकर भी अब,
दुश्मन मुंह की खायेगा.
लहू कवि का और सैनिक का,
काम देश के आएगा,
इसकी रक्तिम आभा देख के,
दुश्मन थर-थर कांपेगा,
-इंद्रेश उनियाल
3.आया-आया, पावन रक्षाबंधन
आया-आया, पावन रक्षाबंधन
मेरे वीर फौजी भाइयों की
रक्षा सदा करना भगवन
तपती धूप को शीतल कर देना,
घनघोर घटा तू धीरे बरसना।
बर्फ जमी पहाड़ों पर, वीरों की हिफाजत करना
आंधियां चले, तूफ़ानों से घिरे, सलामत सदा रखना
दुश्मन करे वार, मेरे वीर जवानों के कवच कुंडल बन जाना,
मेरे वतन के जांबाज वीरों की सदा रक्षा करना।
स्नेहसूत्र में मंगल कामनाएं, पिरो भेज रही है बहना.
-चंचल जैन
चंचल जैन का ब्लॉग-
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4.सावन आया
सावन आया, सावन आया,
हरियाली ले सावन लाया,
खुशियों से मन हर्षाने को
झूले लेकर सावन आया.
सूखी-प्यासी धरती की है,
सावन प्यास बुझाने आया,
खुशहाली का वाहक बनकर,
झूम-झूमकर सावन आया.
-लीला तिवानी
5.काले बादल
काले बादल, काले बादल,
उमड़-घुमड़कर आए बादल,
छाया करते प्यारे बादल,
बादल हैं धरती का आंचल.
श्याम रंग मोहन से पाया,
राम से सुंदर मन है पाया,
बरसाकर नभ से रसधार,
करते निर्मल जग की काया.
-लीला तिवानी
लीला तिवानी का ब्लॉग-
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आज रक्षा बंधन का पावन पर्व है. सबको रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं-
आप सब लोगों के अथक प्रयास से सुसस्ज्जित ‘बाल गीत: आपके हमारे’ की अगली कड़ी आ गई है. इस कड़ी में सुदर्शन खन्ना जी ने तिरंगा फहराया है, इंद्रेश उनियाल जी ने कवि और भारत के वीर सपूतों के लहू को ललकारा है, चंचल जैन जी ने पावन रक्षाबंधन मनाया है, लीला तिवानी जी ने सावन मास में काले बादलों को बरसाकर धरती मां की प्यास बुझाई है और हरियाली की शमा जलाई है. इस अद्भुत शमा से भाई और वीर सपूतों का देश की रक्षा का पथ उज्ज्वल होगा, यही हमारी आशा है.