9 जीवनकामी क्षणिकाएँ
1.
सुविधाकामी
‘भाग्य’ कुछ नहीं होती !
हारे को हरिनाम…..
पर वफादार कौन हैं,
वक्त और सुविधा के अनुसार
बदलते रहते हैं ?
वक्त-बेवक्त परखकर
देख सकते हैं !
2.
सच्ची में
अगर शादी ही ना हो,
तो 3 तलाक
और दहेज प्रताड़ना वाली बात
आएगी ही कहाँ से ?
लाख टके की बात
तो है न यह !
3.
पति बेचारे
मैं कल अपने मायके आ गयी हूँ,
अभी कुछ माह यहीं रहूँगी !
मिलना-जुलना बंद,
अंटशंट पर चाक-चौबंद !
यही तो है अभिशप्त प्रेम,
केम छो, छो केम !
मशविरे भी फोन पर,
देह गयी लोन पर !
तरसते रहो प्यारे,
पति बेचारे !
4.
अफ़सोस
परिपक्व दोस्त को
एक शे’र सादरार्पित-
‘मेरे सपने में रोज एक
चाँद का टुकड़ा आती है,
अफ़सोस वो मुझसे
न कुछ कहती न जगाती है’
अहसास एक प्रेमकथा,
जैसे वृक्ष से चिपकी है लता !
5.
पलंगमर्दन
चलिए आपके पलंग भी
देख लिए !
यानी नियोजित शिक्षकों के पास भी
पलंग है,
मेरे पास नहीं है !
वैसे मास्क और दूरी,
अब भी जरूरी !
रक्षासूत्र लिए बहनजी को
शुभमंगलकामनाएँ !
6.
डिस्टेंसिंग
मैं तो बहनों को
राखी पहनाता हूँ,
पर इसबार
फिजिकल डिस्टेंसिंग के कारण
नहीं पहना सका !
सच में,
पूछ सकते हैं मेरे घर पर !
7.
औरतों के पीछे भागना
कई औरतों के पीछे
भागनेवाले पुरुष भी
सफल होते हैं,
वो किसी देश के
प्रधानमंत्री बन
‘इमरान खान’ कहला सकते हैं !
8.
अलगाववादी मच्छर
एक साल हुए
नए ‘कश्मीर’ के….
तब नए लौहपुरुष शाह जी ने
चुल्लूभर ही
छिड़काव किये थे
और कश्मीर के
अलगाववादी मच्छर
बिलबिला गए थे !
9.
सच्चा ने
सच्चा नेता वह है,
जो न तो लड़े,
न ही लड़ाए,
अपितु ‘संवाद’ स्थापित कर
मामला हल करें,
मेरे अनुज !