गीत/नवगीत

चलो अयोध्या धाम

चलो अयोध्या धाम,
विराजेंगे  अपने    श्रीराम।
कभी  राम झुठलाये जाते।
नकली चरित बताये जाते।
आतंकी बाबर के सम्मुख-
मनगढ़ंत  कहलाये   जाते।।
कैसी भी हो रात,
किन्तु होती है सुबह ललाम।
वंशज   बहुधा जीते – हारे।
अनुयायी  के   वारे – न्यारे।
रक्तपात  के छद्म खेल में –
रामभक्त तन मन धन वारे।।
हुआ बहुत बलिदान,
साक्ष्य है पावन सरयू धाम।
राम  अदालत  में  भी   आए।
साक्ष्य – साक्षी  भी  थे   लाए।
अधिवक्ता बन सच दिखलाए।
न्यायमूर्ति – उर  स्वयं समाए।।
जय जय जय श्रीराम,
अवधपति अवध नयन अभिराम।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन