निराला साहित्य समिति की ऑनलाइन गोष्ठी
मंडला-गत दिवस निराला साहित्य जन कल्याण समिति बरेली- म.प्र. के ऑनलाइन कवि-सम्मेलन का आयोजन डॉ. लता “स्वरांजलि”(भोपाल) के संचालन में किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रो. शरद नारायण खरे (मंडला) ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा- तीज त्योहार हमारी आध्यात्मिक चेतना का ही अंश हैं, जो हमारी सामाजिक व सांस्कृतिक नींव सुदृढ़ करते हैं।
प्रो.शरद नारायण खरे ने कविता में संदेश दिया-
“कोई ना हो भूखा प्यासा कोई ना बेहाल रहे।
जीवन महके नित खुशियों से,हर इक मालामाल रहे।।
ना हो पीड़ा व्यथा वेदना,हर पल मुस्काये गाये,
यही कामना आज ‘शरद’ की,हर आँगन खुशहाल रहे।।”
मुख्य अतिथि सिकंदराराऊ उ.प्र. के देवेंद्र दीक्षित ‘शूल’ जी ने पढ़ा कि-“चारो तरफ हो शूल मत दामन बचाइये।आप भी गुलाब जैसे मुस्कुराइये।।”
सरस कवयित्री व विशिष्ट अतिथि डॉ. नीलम खरे जी (मंडला) ने श्रंगार को भव्यता से यूँ उकेरा-
“मेंहदी ने रचकर पढ़ी पाती पिय की आज।
भले बसे परदेस में पर नित दिल पर राज।।”
कार्यक्रम का कुशल सरस संचालन कर रही डॉ. लता “स्वरांजलि” भोपाल ने ग़ज़ल को उनकी दिलकश आवाज़ में पेश किया-“चोट पर चोट खाते रहे।फिर भी हम मुस्कुराते रहे।।उनके हक में भी की है दुआ,रात-दिन जो रुलाते रहे।।”
हास्य कवि दीपक चित्रांश (कुरावर) ने हास्य के साथ कुछ संदेश दिया।नवोदित कवयित्री शिल्पी पटेल (शहडोल) ने बघेली गीत पढ़ा।कवि सम्मेलन के संयोजक व आयोजक प्रभुदयाल खरे ‘गज्जे भैया’ (बरेली) ने राजनीति पर कुछ यूँ तंज कसा-“समय आने पर बदल देते हैं जीने का अंदाज़।साँप छछूंदर मेंढ़क गिरगिट मिलकर करते राज।।कार्यक्रम उपरांत सभी को सम्मान-पत्र प्रदान किये गये।