5 आकुल कविताएँ
1.
तेल से रिश्ते
रिश्ते दीये में
तेल की तरह होते हैं,
जो सीमित मात्रा में हैं !
धरती में,
इस सृष्टि में !
इसलिए रिश्तों का
ज्यादा इस्तेमाल मत कीजिए !
2.
ईमानदार कौन
ईमानदारी का लिस्ट
जब भी बनाइये,
घर से बनाइये;
सिर्फ एक दिन
आप बीवी से बात ना करें
या वो आपसे….
अगले दिन दोनों
बेईमानी पर उतर आएंगे !
3.
गरीब आदमी
इस स्थिति के लिए
बुरा मानिए या भला !
तब मैं बिंदास कैसे हो सकता हूँ ?
किसी की व्यक्तिश: पीड़ा
समझी जाय, मित्र !
अब तो अतिथि लिए अ-तिथि का
जमाना नहीं रहा,
फिर अचानक धमक आने में
असहजता तो रहती ही है !
हम जैसे-
गरीब आदमी ऐसे ही होते हैं !
4.
अनुकूल आग्रही
सादर प्रस्तुत है
कि प्रसंग के
अनुकूल आग्रही
विचरते के प्रसंगानुकूल
कारकीय पहल लिए
चिर संचय के मानिंद
आगे बढ़ते रहें ताउम्र
ताकि
विवादित पहल से इतर
मिले प्रत्युत्तर !
5.
जीवन-विचरण
मित्र के प्रति एक कविता
सादर प्रस्तुत है–
‘जीवन-विचरण में
अवश्यंभावी कारक लिए
आप चिर संचय के मानिंद
नित्य नूतन रचनाएँ करते रहें
और रहें ताउम्र सदा आनंद !’
आदरणीय मित्र के प्रति
हृदयश: आभार….