‘अंग्रेजी’ भारत कब छोड़ेंगे ?
अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया, हम ‘अंग्रेजी’ को कब छोड़ेंगे ?
‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन’ का 78 वां वर्ष है, यह दुनिया का पहला देशव्यापी आंदोलन था, जो नेतृत्वविहीन था।
अंग्रेजों ने तो भारत छोड़ दिया, किन्तु ‘अंग्रेजी’ अब भी हावी है। ‘डॉक्टरी’ पूर्जा से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अब भी अंग्रेजी हावी है।
आखिर, अंग्रेजी भारत से कब जाएगी ? कब हम अपनी ‘माँ’ को अपनाएंगे ?
तभी तो कहता हूँ-
“जिसने 200 साल तक
हमारे पुरखों को
भेड़-बकरी के मानिंद
काट-मार किये,
वह भाषा अपनानी क्यों ?
चीनियों और चीनी सामग्रियों को
इसी कारण से ही हम खदेड़ रहे हैं !
आजादी से पहले भी
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
हो चुका है, अब भी !
….पर सिर्फ चीनी ही क्यों ?”
1942 में गाँधी जी जैसे उदार और अहिंसावादी को भी कहना पड़ा– अँग्रेजों ! भारत छोड़ो !
वो दिन 9 अगस्त ही था, एकतरफ नेताजी सुभाषचंद्र बसु विदेशों में अपने संगठन ‘आज़ाद हिंद फौज’ के वीर सिपाहियों को ‘दिल्ली चलो’ कह प्रेरित कर रहे थे, तो वहीं पटना सचिवालय के उत्तुंग पर राष्ट्रध्वज फहराने को वीर बिहारी सपूत उद्विग्न थे…. सभी सेनानियों की याद एकसाथ…. सादर नमन !
अंत में यही कहना चाहूँगा, यथा-
“मैं न निराश हूँ,
न ही हताश हूँ;
अपितु खास हूँ,
रास हूँ,
परिहास हूँ;
वरना भड़ास हूँ !”