बदलता हुआ वक्त
वक्त के पन्नों पर
सब कुछ बदल जाएगा
जो लिखा है नसीब में
वो भी मिल जाएगा।
सोचा न था जो कभी
वो भी कुछ-कुछ
खोकर मिल ही जाएगा।
संभाल सकते हो तो
संभाल लेना उस वक्त को
जो खोने वाला है।
क्योंकि खोए हुए
वक्त के साथ
अपने भी खो जाते हैं
और पराए भी
अपने बन जाते हैं।
मगर याद रखना
बदलते हुए
वक्त के साथ
तुम भी बदल मत जाना,
पकड़ा है
जो हाथ हमारा
छोड़ कर किसी और के
न हो जाना ।
— राजीव डोगरा ‘विमल’