कविता

कन्हैया जेल में है

हे देवकी-वसुदेव!
क्या अभी भी तुम
इतने लाचार हो!
जिसने तुम्हें कैद से बाहर किया
माँ-बाप का दर्जा दिया
जन्मते ही यमुना को पछ़ाड़ा
कालिय नाग को नाथकर
सुधारा
अगणित राक्षसों पर भारी था
यशोदा-नन्द का बनवारी था
छाछ पर नाचा भी वह अल्हड़
राधा के अनूठे प्यार में पड़ा
कंस से खुलेयाम लड़ा
अन्याय व अधर्म का किया अंत
‘कर्मण्येवाधिकारस्ते माफलेषु कदाचन’
उसकी सुगीता गीता को नमन
नर को नारायण बनाया
कभी चीर चुराया
कभी चीर बढ़ाया
बंशी को छोड़ सुदर्शन गहा
पाने-खोने की आसक्ति से विरक्त रहा
क्या -क्या नहीं सहा उसने!
कालान्तर बाद काल चक्र घूम गया
फिर कंसों का राज्य आया
कृष्ण के तथाकथित अपने
जिनके साथ जुड़े थे
पल- पल के सपने
सब कंस से मिल गए
पाकर सत्ता सुख
खुशी से खिल गए
भूल गए कि उनका लाड़ला
उनका संकट मोचक
उनका उद्धारक
अखिल सृष्टि का रचयिता, पालक, संहारक
सैकड़ों साल से
अपने जन्मदिन पर भी
जेल में है
हाँ जी,
कन्हैया जेल में है।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन