कन्हैया जेल में है
हे देवकी-वसुदेव!
क्या अभी भी तुम
इतने लाचार हो!
जिसने तुम्हें कैद से बाहर किया
माँ-बाप का दर्जा दिया
जन्मते ही यमुना को पछ़ाड़ा
कालिय नाग को नाथकर
सुधारा
अगणित राक्षसों पर भारी था
यशोदा-नन्द का बनवारी था
छाछ पर नाचा भी वह अल्हड़
राधा के अनूठे प्यार में पड़ा
कंस से खुलेयाम लड़ा
अन्याय व अधर्म का किया अंत
‘कर्मण्येवाधिकारस्ते माफलेषु कदाचन’
उसकी सुगीता गीता को नमन
नर को नारायण बनाया
कभी चीर चुराया
कभी चीर बढ़ाया
बंशी को छोड़ सुदर्शन गहा
पाने-खोने की आसक्ति से विरक्त रहा
क्या -क्या नहीं सहा उसने!
कालान्तर बाद काल चक्र घूम गया
फिर कंसों का राज्य आया
कृष्ण के तथाकथित अपने
जिनके साथ जुड़े थे
पल- पल के सपने
सब कंस से मिल गए
पाकर सत्ता सुख
खुशी से खिल गए
भूल गए कि उनका लाड़ला
उनका संकट मोचक
उनका उद्धारक
अखिल सृष्टि का रचयिता, पालक, संहारक
सैकड़ों साल से
अपने जन्मदिन पर भी
जेल में है
हाँ जी,
कन्हैया जेल में है।
— डॉ अवधेश कुमार अवध