कार्य में भक्तिभाव
दर असल में आतप चावल को लोढ़ी-पाटी में आटा की तरह महीन पीसकर और पिसाई के साथ गीला करने के लिए थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर उसे गहरा दूध या पतला मक्खन की तरह पेंट बना दिया जाता है , फिर हाथ की सभी अँगुलियों को एक साथ शंखाकार करते हुए तर्जनी से ‘अरिपन’ बनाई जाती है, जिनमे कई चित्राकृति मनोवांछित बनते चले जाते हैं, परंतु ऐसे अरिपन बनाते वक्त इसपर भी ध्यान दिया जाता है कि एक चित्र के बाद दूसरे चित्र बनाते समय एक- दूसरे से जुड़े रहे।
यह कहकर यशोदा जी इस कार्य में भक्तिभाव से संलग्न हो गई।