चार बाल गीत- 2
1.कृष्ण बना दे
मां मुझको तू कृष्ण बना दे,
देश प्रेम की लगन लगा दे,
छोटा-सा पीताम्बर पहना,
छोटी-सी वंशी दिलवादे.
मोरपंख का मुकुट सजीला,
मेरे शीश पे आज सजा दे,
माखन-मिश्री खूब खिलाकर,
मुझको शक्तिवान बना दे.
2.समय
समय बहुत ही है अनमोल
देता अनगिन रस्ते खोल
समय की सीमा को पहचानो
कभी न गर्व से बोलो बोल
प्यार करोगे अगर समय से
समय करेगा तुमसे प्यार
समय बनाता भाग्य हमारा
समय ही है जीवन का सार.
3.मछली
‘म’ मछली, जल में रहती है,
जल में ही ले सकती सांस,
लेकिन कभी न पानी पीती,
बुझा न पाए अपनी प्यास.
हाथ लगाओ तो डर जाती,
बाहर निकालो तो मर जाती,
पानी में पैदा होती है,
पानी से ही प्रेम निभाती.
4.लट्टू
फर-फर-फर-फर लट्टू घूमे,
बच्चों को दे हर्ष अपार,
इससे सीखें काम निरंतर,
करके, देना हर्ष अपार.
हरा-सुनहरी-नीला-पीला,
लाल-गुलाबी रंग-रंगीला,
डोरी इसको नाच नचाए,
तो भी लगता है सपनीला.
मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/
आदरणीय दीदी, सादर प्रणाम. बाल गोपाल की लीला का दर्शन कराता, पीताम्बर धारण कर, माखन मिश्री खाकर शक्तिवान बन देश प्रेम की वंशी बजाता बाल गीत ‘कृष्ण बना दे’ सुगबुगाहट है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की, अग्रिम में सभी को हार्दिक शुभकामनाएं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में अधिक समय नहीं रह गया है अतः समय की महत्ता का भान कराता बाल गीत ‘समय’ एक सन्देश है समय के सदुपयोग का, सभी के लिए, जल में तैरती मछली पर रचित बाल गीत अत्यंत सार्थक सन्देश दे रहा है कि हे मानव हम जलचर हैं, जल को प्रदूषित मत कर, हम इसी में सांस लेते हैं, आशा है सभी इस सन्देश के महत्त्व को समझते हुए नदियों में पॉलिथीन, कूड़ा करकट व औद्योगिक रसायन नहीं डालेंगे और जलचरों को जीने का अधिकार देंगे, ‘लट्टू’ बाल गीत भी महत्वपूर्ण सन्देश दे रहा है स्वयं पर विश्वास करने का, कोई जितना भी घुमा ले, पर लट्टू हर हाल में प्रसन्न चित्त रहता है, हर स्थिति में, तो हे मानव हर स्थिति में, हर परिस्थिति में प्रसन्न चित्त रहने वाले लट्टू की बात सुनो और जीवन में सदा प्रसन्न रहो. बाल गीत बेशक बाल गीत कहे जाएं लेकिन इनके पीछे सन्देश कितना गहन है यह जानना होगा.
प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि हमेशा की तरह यह रचना, आपको बहुत अच्छी व प्रेरक लगी. हमें भी आपकी ‘ बाल गोपाल की लीला का दर्शन कराता—-समय की महत्ता का भान कराता बाल गीत ‘समय’ एक सन्देश है समय के सदुपयोग का———-जल में तैरती मछली पर रचित बाल गीत अत्यंत सार्थक सन्देश दे रहा है कि हे मानव हम जलचर हैं, जल को प्रदूषित मत कर, हम इसी में सांस लेते हैं——–‘लट्टू’ बाल गीत भी महत्वपूर्ण सन्देश दे रहा है स्वयं पर विश्वास करने का, कोई जितना भी घुमा ले, पर लट्टू हर हाल में प्रसन्न चित्त रहता है, हर स्थिति में, तो हे मानव हर स्थिति में, हर परिस्थिति में प्रसन्न चित्त रहने वाले लट्टू की बात सुनो और जीवन में सदा प्रसन्न रहो. बाल गीत बेशक बाल गीत कहे जाएं लेकिन इनके पीछे सन्देश कितना गहन है यह जानना होगा. ‘ के प्रेरक संदेश से सुसज्जित प्रोत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया लाजवाब लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, कहते हैं खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है. आपके तो आंखों में भी खूबसूरती है, मन में भी और शब्दों में भी, क्या गजब की प्रतिक्रिया लिखी है! हर बाल गीत में आपने उसमें इहित संदेश को निकाल लिया, वैसे ही जैसे दूध से मक्खन! आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. बाल गीत बेशक बाल गीत कहे जाएं लेकिन इनके पीछे सन्देश कितना गहन है यह जानना होगा. यही जीवन का सार भी है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
समुद्र मंथन से उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि, पारिजात वृक्ष सहित 14 रत्न निकले। पारिजात वृक्ष की विशेषता थी कि इसे छूने से थकान मिट जाती थी। यह भी देवताओं के हिस्से में गया। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो समुद्र मंथन से पारिजात वृक्ष के निकलने का अर्थ सफलता प्राप्त होने से पहले मिलने वाली शांति है। जब आप (अमृत) परमात्मा के इतने निकट पहुंच जाते हैं तो आपकी थकान स्वयं ही दूर हो जाती है और मन में शांति का अहसास होता है।