कविता

माखन के चोर

माखन के चोर ,
गोपियों की नैनो के मोर,
तूने कैसा खेल किया ,
दुनिया सारी तुम्हारे है ओर ,
मीरा तुम्हारी दीवानी ,
राधा तुम्हारी दीवानी ,
दुनिया तुम्हारे दीवाने ,
तेरे हाथों युग बना घनगोर,
कहीं जन्मा तू ,
कहीं पला तू ,
कहीं खेला तू ,
कहीं रहा तू ,
तेरे रूप अनेक ,
तेरे रंग अनेक ,
किसी के दिल में तू ,
किसी के सांसो में तू ,
तू दुनिया के पालन हारी,
तू दुनिया के सबके दुलारे ,
तू है तो दुनिया है ,
तू है तो हम है !
— रूपेश कुमार

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - [email protected]