मुक्तक/दोहा

दोहे – झूठ

दुनिया सारी झूठ है ,झूठ सारा जहान,
झूठ को सत्य मान ले,इसमें तेरी शान।

सच का इक दीपक जला,झूठ हुआ बेहाल,
पर झूठ की आंधी ने,तोडा सच का जाल।

श्वेत झूठ इतना सबल,आए कभी न आँच.
आज झूठ है जगत में,सबसे ताजा साँच।

शतरंजी ये जिन्दगी ,इसके चाल अजीब,
चाल चलें जब सत्य की,पाते झूठ करीब।

जीवन के हर मोड़ पर,करता झूठ कमाल ,
हर मुश्किल की घड़ी में,तोड़े सच का जाल।

खोज खोज के थक गए,मिटती नहीं थकान,
झूठ नगर में खोजते ,सच का बड़ा मकान।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328