स्वतंत्रता
क्या है स्वतंत्रता और कैसी स्वतंत्रता
किस किस के बलिदान की है स्वतंत्रता
माता ने अपने लाल को बलिदान करदिया
माँ भारती के स्वप्न को साकार कर दिया
अपनी ही जवानी को देश पर लुटा दिया
जालिमों के ज़ुल्म को हँस- हँस के सह गया
नदियाँ बहाकर रक्त की मिली है स्वतंत्रता
राखी के हाथ जाने कहाँ खो गये
बहनें थीं जिनकी याद में वे भी सो गये
मैयत भी जिनकी अब तक नहीं बनी
हमने भी कहानी अब तक नहीं लिखी
नदियाँ बहाकर रक्त की मिली है स्वतंत्रता
सिन्दूर पोंछकर चूड़ियाँ तोड़ दीं
हिंद की ख़ातिर सब रस्म छोड़ दीं
आंखें भी सूज गयीं प्रियतम की याद में
बरखा भी रो पड़ी है उनकी फरियाद में
नदियाँ बहाकर रक्त की मिली है स्वतंत्रता
डॉ. शशिवल्लभ शर्मा