हास्य व्यंग्य

अजीब सपना

सपनों की भी अजीबोगरीब दुनिया है। कभी-कभी तो बहुत आश्चर्य जनक सपने आते हैं। वैज्ञानिक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि सपने क्यों और कैसे आते हैं। कभी कभार बहुत रोचक सपने आते हैं, कभी डरावने। कुछ लोग खुली आँखों से भी सपने देख लेते हैं हालाँकि मैं उनमें से नहीं हूँ पर मुझे विचित्र सपने आते जरूर हैं। उनका सच से क्या लेना देना है मुझे पता नहीं चला कभी।

कल रात ऐसा ही विचित्र सपना आया मुझे। सपने में क्या देखता हूँ – मैं एक जंगल से गुजर रहा था और देखा कि भेड़ियों ने शृंखला बनाई हुई थी और मध्य में एक मेमना शांत, निश्चिंत, अविचल, सुरक्षित भाव से कोमल पत्तियाँ चर रहा था। मुझे आश्चर्य हुआ; एकबारगी विश्वास नहीं हुआ कि मैं क्या देख रहा हूँ! सपने में ही आँख मलते हुए मैंने दोबारा देखा तब भी वही देखा। प्रभु की लीला सोचकर आगे बढ़ा।

आगे एक तालाब पर दृष्टि गई। घोर आश्चर्य! यहाँ भी एक अद्भुत नजारा!! सर्प शृंखला बनी हुई थी और मेंढक मध्य में सुरक्षित टर्रा रहा था। कमाल हो गया!!! मुझे इस जंगल से भय होने लगा। अजीब घटनाएँ किसी बड़े दुर्घटना की संभावना बताती हैं। संभाव्य खतरे को भाँप कर मैं घर लौट आया। पर ओफ्फ! यहाँ भी अप्रत्याशित दृश्य!! चींटियाँ शृंखलाबद्ध हो चीनी के दाने को बचा रही थीं। तभी मोबाइल के अलार्म से मेरी नींद टूट गई।

थोड़ी ही देर में अर्धांगिनी चाय और अखबार ले आई। मैंने अखबार छोड़ सपने के बारे में पहले बताया पत्नी को। पत्नी बोली उनींदे होने से ऐसी वाहियात सपने आते हैं। यह सब सोचना छोड़िए और खबर पढ़िए।

मैंने भी दिमाग से यह सब झटका। चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ने लगा जिसमें बैंगलोर हिंसा व मंदिर बचाने की घटना मुखपृष्ठ पर छपी हुई थी।

अनंत पुरोहित ‘अनंत’

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 [email protected]