लघुकथा

पश्चाताप

डाॅक्टरों की टीम ज्योंहि गांव में पहुंची, पहले से घात लगाए कुछ जाहिलों और धर्मांधों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। एक महिला ने छत पर से पत्थर फेंका जो सीधे डॉ. रोहित के सिर पर लगा। डॉक्टर के सिर से खून रिसने लगा। मेडिकल टीम वापस लौट आई। प्रशासन तुरंत कड़ा रूख अख्तियार करते हुए पुलिस दल के साथ जाकर पत्थरबाजों को गिरफ्तार कर लिया। सभी का कोविड 19 का टेस्ट कराया गया। कुल 4 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये, जिनमें एक वह महिला भी थी जिसके पत्थर से डाॅ. रोहित घायल हुए थे। सभी का आइसोलेशन वार्ड में इलाज शुरू हुआ। डॉ. रोहित जब उस महिला का इलाज करने गए तब वह घबराई सी लग रही थी। डॉ. रोहित ने भी उस महिला को पहचान लिया और प्यार से कहा- “घबराइए नहीं, आप बहुत जल्दी ठीक हो जायेंगी।” लगभग बीस दिनों तक वार्ड में भर्ती रहने के दौरान कोई उससे मिलने नहीं आया….न तो परिवार के सदस्य और न ही वो धर्मगुरु जिसने कहा था कि हमारी कौम को कोरोना नहीं होगा।
अब वह कुछ स्वस्थ महसूस कर रही थी। एक दिन डॉ. रोहित आये और मुस्कराते हुए बोले- “मुबारक हो, आपकी तीसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आई है। अब आप घर जा सकती हैं”, फिर उन्होंने घर पर पालन करने के लिए कुछ आवश्यक निर्देश दिए। एंबुलेंस पर चढ़ते समय उस महिला की आंखें भर आईं। डॉ. रोहित के पैरों पर गिरते हुए बोली- “डाक्टर साहब, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई…. मुझे माफ़ कर दीजिए। सचमुच आप हमारे लिए भगवान हो….”
— विनोद प्रसाद

विनोद प्रसाद

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