कविता

इंसानियत कब लौटेगी?

जब काम क्रोध और लोभ मोह सत्ता का नशा त्याग दोगे

जब निर्दयता क्रूरता पाप और ईर्ष्या द्वेष त्याग दोगे,

जब जाति भेद और धरम भेद वासना कामना त्याग दोगे

जब भ्रष्टाचार नशाखोरी और दुर्भावना त्याग दोगे,

जब ज्ञान इंद्रियों का होकर फिर प्रेम और सदभाव बढे

जब भाईचारा परोपकार और विश्व बन्धुत्व का भाव बढे,

जब धर्म राह पर चलकर मानव ईश्वर मे विश्वास करे

जब प्रकृति को अपनाये और प्रकृति का गुणगाण करे

इज़्ज़त सम्मान सभी समझे रिस्तो की कद्र हर इंसान करे,

अपनापन,प्यार,बढे और दुर्भावो से बचकर रहना

जब शर्म लाज और इज़्ज़त को सब समझेंगे अपना गहना,

जब जीव जन्तु और सभी प्राणी को अपना अधिकार मिले

जब कदम-कदम पर नेकी हो अपयश दुर्भाव का मान घटे

जब कर्म को पूजा समझेंगे कर्मो की महानता का मान बढे,

तब जाकर विश्व प्रेम की आशा उम्मीद की किरण लौटेगी

ऐसी कठोर तपस्या से ही इंसानियत वापस लौटेगी।

— संजय सिंह मीना

संजय सिंह मीणा

गांव -फकीरपुरा जिला- करौली (राजस्थान)