ग़ज़ल
विरल है लोग करते जो रहबरी अब
करेगी कुछ नया यह लेखनी अब |
नया कुछ यह जमाना मांगता है
अमीरी की मिटा दो दुश्मनी अब |
मिलाया धूल में मेरा भरोसा
करे कोई इशारा जिंदगी अब |
किया जो कुछ नहीं स्वीकार रब को
मनाने रब, करें क्या आदमी अब |
किया विश्वास पूरी जान से जब
सचाई से निभाना दोस्ती अब |
मोहब्बत का तराना छेड़ा’ तुमने
सुना दो महफिलों में शायरी अब |
सभी आजाद है इस देश में मित्र
चलेगा दौर मीठी मयकशी अब |
घटा ने ढक लिया है चाँद को ज्यों
मलिन ‘ काली’ धरा पर चाँदनी अब |