ग़ज़ल
मौसमी हवा बनी तूफान इन दिनों
सब शत्रु के मकान है’ वीरान इन दिनों |
हैवान को मिला सभी’ सम्मान इन दिनों
अक्षम बशर का हो रहा’ गुणगान इन दिनों |
कोई कभी नहीं किया’ अच्छा अवाम का
बेकार में ही’ मानते एहसान इन दिनों |
देखो जहाँ वहीँ लूटी इज्जत गरीब की
दुष्कर्म का चढ़ा अभी’ परवान इन दिनों |
भगवान को बना दिया’ इक मूर्ति स्टोन का
इंसान बन गया अभी’ भगवान इन दिनों |
सांसद अभी बना रहे’ यूँ पार्टियाँ निजी
कौड़ी के’ भाव बिक रहा’ ईमान इन दिनों |
इस देश के बचाव में’ कुर्बान जान है
‘काली’ मज़ाक हो गया’ बलिदान इन दिनों |
कालीपद ‘प्रसाद’