जज्बात
जज्बातों की दौड़ में
प्रेम के मरुस्थल पर
भावना की स्याही से
अंतर्मन के शब्दों को
मोतियों की माला में
गहरे स्पंदन के स्पर्श
छपते चले गए ज्यूँ
पन्नों को सहज लगे
अक्षय है दुनिया में
सिर्फ प्रेम की बाती
दुनिया के अनेकों
अक्षर में प्रेम पुंज
का सुनहरा प्रकाश
ज्योत बनकर जले
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़