सार छन्द
मिल बाबुल से बिटिया रोये ,छोड़ चली घर द्वारा ।
सपनों से भी जो सुंदर था ,प्राणों से भी प्यारा ।
जब मैं छोटी सी बच्ची थी ,जल्दी तुम घर आते थे ।
गुड़िया ,गुड्डा,और खिलौने ,कितने सारे लाते थे ।
लेकिन सबसे अच्छा लगता ,मुझको साथ तुम्हारा ।
साथ तुम्ही तो होते मैंने ,जब जब तुम्हे पुकारा
सपनों से भी …………………।
इक मेरी मुस्कान के लिए ,कितने लाड़ लड़ाते ।
घोड़ा जब कहती बन जाते ,चाहे थक भी जाते ।
अपने पास नही कुछ रक्खा ,सब था मुझ पर वारा ।
ऐसा प्यार कहाँ पाऊँगी ,फिर से कहो दुबारा ।
सपनों से भी …………………।
छाँव नेह की पायी तुमसे ,माँ भी याद न आती ।
इक दिन जाना है सब तजकर ,सोच -सोच घबराती ।
लालन पालन में मेरे ही ,जीवन किया गुज़ारा ।
बनी पराया धन है बेटी ,क्यों माने जग सारा ।
सपनों से भी …………………।
करी विदाई बाबुल तुमने ,कैसी रीत निभाई ।
रस्मों और रिवाज़ों खातिर ,बेटी करी पराई ।
कैसे मुझ बिन जी पाओगे ,इक पल नहीं विचारा ।
कौन रखेगा ध्यान तुम्हारा ,होगा कौन सहारा
सपनों से भी …………………।
खूब दिए आशीष पिता ने ,अंक लिया बिटिया को ।
बोले गुड्डे के सँग बांधा ,प्यारी इस गुड़िया को ।
अब ससुराल तुम्हारा घर है ,सुखी रहे संसारा ।
तन- मन- धन से साथ निभाओ , होगा नाम हमारा ।
सपनों से भी …………………।
याद अगर मैं बाबुल आऊँ ,तुम्हे कसम मत रोना ।
सजल नयन कर अश्रु धार से ,दामन को मत धोना ।
बहुत कठिन है बिसरा देना ,ये घर ये चौबारा ।
आँचल में मैं बाँध रखूंगी ,प्यार तुम्हारा सारा ।
सपनों से भी …………………।
— रीना गोयल