चार बाल गीत- 3
1.वृक्ष
वृक्ष हमें फल-फूल हैं देते,
अन्न-दालें-मेवे और धान,
साज-सज्जा, खेलों की चीज़ें,
फर्नीचर देते ये महान.
मिट्टी का कटाव रोकते,
मौसम के हैं ये सरताज,
पत्थर खाकर भी फल देते,
प्रदूषण हटा बनाते काज.
-लीला तिवानी
2.शुकराने
रोज रात को को परिवार संग,
करता प्रभु के शुकराने,
जिसने दी सब सुविधाएं,
खाने को अनगिन दाने.
होठों पर मुस्कान लिए मैं,
ताली खूब बजाता हूं,
बड़े प्रेम से धन्यवाद के,
गीत खुशी से गाता हूं.
मम्मी कहती सच पूछो तो,
यही है सच्ची पूजा,
मुस्काकर हरि-गुण गाने सम,
काम न प्यारा दूजा.
3.छतरी
मेरी छतरी प्यारी छतरी,
रक्षा करने वाली छतरी,
बारिश से है मुझे बचाती,
धूप से भी बचाती छतरी.
डंडा बनकर श्वान भगाती,
चोर-लुटेरों से भी बचाती,
कभी-कभी जब पड़े जरूरत.
छतरी छड़ी भी है बन जाती.
4.घायल पर्यावरण
मैं घायल पर्यावरण हूं, मुझे संवारो,
मुझे संवारकर सृष्टि का रूप निखारो,
मुझे संवारोगे तो सृष्टि रहने योग्य बन जाएगी,
अन्यथा सर्वनाश की ओर मुड़ जाएगी.
जल-प्रदूषण, भूमि-प्रदूषण, वायु-प्रदूषण से किनारा करो,
ध्वनि-प्रदूषण और वाक्-प्रदूषण से मुक्त रहो,
प्लास्टिक का प्रयोग करना छोड़ो,
”मैं पर्यावरण के लिए समर्पित हूं” शान से कहो.
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भारत का राष्ट्रीय वृक्ष-
भारतीय बरगद का पेड़ फाइकस बैंगालेंसिस, जिसकी शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं। जड़ों से और अधिक तने और शाखाएं बनती हैं। इस विशेषता और लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्वर माना जाता है और यह भारत के इतिहास और लोक कथाओं का एक अविभाज्य अंग है।