गीत/नवगीत

गीत

नशा नशा नशे गम में ज़िंदगी चली है
धुँआ धुँआ बिखरे से हम यूँ ही मिली है.

युवा की ज़न्नत यही उनकी ख़ुशी है ,
खोया खोया रोया दिखे ले मयकशी है
अब तो इस मोड़ ही पाई सब ख़ुशी है.. नशा नशा।

हो इसी ने जिन्दा रखा इसी ने ही मारा
इसका चोली दामन सा साथ हमारा
जब सबने ठुकराया इसने संभाला है.नशा नशा

हमने इसको छोड़ा ,इसने नहीं छोड़ा
छोड़ भी दे तो लोग कहते बना बेबड़ा
कैसे रहे इसके बिना सुझादो तो हमे। .नशा नशा

नशे ने क्या नहीं छीना हैं हमारा
घर -वार और विश्वास खोये सहारा
शक के घेरों में सिमटे सिमटे गिनना ।
ये सच पल जीवन में लगते है बेगाने।.नशा नशा

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]