गीत
नशा नशा नशे गम में ज़िंदगी चली है
धुँआ धुँआ बिखरे से हम यूँ ही मिली है.
युवा की ज़न्नत यही उनकी ख़ुशी है ,
खोया खोया रोया दिखे ले मयकशी है
अब तो इस मोड़ ही पाई सब ख़ुशी है.. नशा नशा।
हो इसी ने जिन्दा रखा इसी ने ही मारा
इसका चोली दामन सा साथ हमारा
जब सबने ठुकराया इसने संभाला है.नशा नशा
हमने इसको छोड़ा ,इसने नहीं छोड़ा
छोड़ भी दे तो लोग कहते बना बेबड़ा
कैसे रहे इसके बिना सुझादो तो हमे। .नशा नशा
नशे ने क्या नहीं छीना हैं हमारा
घर -वार और विश्वास खोये सहारा
शक के घेरों में सिमटे सिमटे गिनना ।
ये सच पल जीवन में लगते है बेगाने।.नशा नशा
— रेखा मोहन