गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

चपला सी वह चंचल है , लहरों सा पाना,
माँ बाप की उसको दिल की धड़कन माना
कन्या भ्रूण हत्या कर तू बनता अंजाना,
बेटी मेरे सूनेपन के होठो का अफ़साना
सुता तो कुदरत का अनुपम वरदान सी है,
दुनियाँ के लिए भरपूर प्रेम मान निभाना
माता-पिता के घर की शान होती है बेटी,
दो कुलों की आन वान शान है बेटी पाना
भरे सुनहरे कल का ये अरमान से है बेटी,
परिवार का सुन्दर सम्मान का बेटी खज़ाना
सुन्दर सहनशीलता का शांत सा सागर है
हो क्रोध में दुर्गा का अवतार है बेटी बताना
पहले वो मर्यादा चहारदीवारी में कैद सी थी,
अब पंख लगा उड़ रही है बेटियाँ सियानियाँ
जल थल नभ को अपने कदमों के निशान
रोशन कर आगे आ बनाती बेटियाँ कहानियाँ
बेटों को साथ ही बढ रही है सब बेटियाँ
वृद्ध माता-पिता का सहारा बेटियाँ सुहानिया
— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]