ज्ञान-अंजन दीजिए
हे प्रभु अपनी शरण में, आप अपनी लीजिए,
दूर करके दुर्गुणों को, ज्ञान-अंजन दीजिए.
सच का दें हम साथ हर पल, झूठ को पलने न दें,
पुण्य का आश्रय बनें हम, पाप-पथ पर नहीं चलें.
शुद्ध हो मन, शुद्ध हो तन, शुद्ध वाणी-कर्म हों,
शुद्ध ध्येय हो स्वामी अपना, शुद्ध मानव धर्म हो.
प्रेम हो दीनों से सबको, एकता का भाव हो,
भेदभाव को दूर करने, का सभी को चाव हो.
हो न डर किसको किसी का, वीरता भरपूर हो,
नारियों का मान हो और गुरुजनों का नूर हो.
धर्म के कानून का सब, आचरण करते रहें,
याद रखें मौत को और आपको भजते रहें.
आत्मा की टेर को हम, हे प्रभु दबने न दें
शक के विष को फेंक कर, विश्वास-मधु से घट भरें.
मन हो सुंदर प्रभु हमारा, करुणा से भरपूर हो,
चलना हो संतोष-पथ पर, आपसे नहीं दूर हों.
विनती या प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है. इससे तन-मन सशक्त होता है-शुभचिंतक वे नहीं होते,जो आपसे रोज मिलें और बातें करें,शुभचिंतक वे होते हैं,जो आपसे रोज न भी मिल सकें,फिर भी आपकी खुशी के लिए प्रार्थना करें.