भजन/भावगीत

सद्गुण-जल बरसाओ

विनय सुनो हे स्वामी सबका, जीवन धन सरसाओ
हे परमेश्वर दे आशीषें, सद्गुण-जल बरसाओ-

1.सज्जन का संग देना प्रभु जी, सद्बुद्धि भी देना
सद्गुण का हो भरा खजाना, धीरज का धन देना
अपनी शरण में ले लो स्वामी इतनी दया दिखाओ
हे परमेश्वर दे आशीषें, सद्गुण-जल बरसाओ-

छोटों से हो प्यार हमारा, गुरुजनों का मान करें
जग की सारी बाधाओं पर, बल-बुद्धि से वार करें
थोड़ा-सा सम्मान प्रभुजी, जग में हमें दिलाओ
हे परमेश्वर दे आशीषें, सद्गुण-जल बरसाओ-

स्वस्थ रहें तेरी संतानें, दुःखियों का दुःख दूर करें
सरल-अमल-निष्कपट भाव से, दुनिया को भरपूर करें
तनिक न हो अभिमान प्रभुजी, ऐसा हमें बनाओ
हे परमेश्वर दे आशीषें, सद्गुण-जल बरसाओ-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सद्गुण-जल बरसाओ

  • लीला तिवानी

    विनती या प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है. इससे तन-मन सशक्त होता है-शुभचिंतक वे नहीं होते,जो आपसे रोज मिलें और बातें करें,शुभचिंतक वे होते हैं,जो आपसे रोज न भी मिल सकें,फिर भी आपकी खुशी के लिए प्रार्थना करें.

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