हरितालिका तीज व्रत दाम्पत्य जीवन की प्रगाढ़ता का पर्व’
भारत एक विशाल विविधता, कई संस्कृतियों और अलग-अलग परंपराओं को मनाने वाला देश है, जिनमें से कुछ त्यौहार और संस्कृतियाँ विलुप्त सी हो गई हैं और कुछ वर्तमान में आज भी चली आ रही हैं। इन्हीं में से एक हरितालिकातीज।
भारत के कई राज्यों में हरितालिका तीज को एक त्यौहार के रूप में भारत की महिलाएं तथा युवतियां भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को बहुत ही अच्छे से व धूमधाम से मनाती हैं । यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हरितालिका तीज के व्रत की कथा भी माता पार्वती और भगवान शिव से जुड़ी है। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इसी दिन माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। उसी दिन से ‘हरितालिका तीज’ का त्यौहार मनाया जाता है। तथा माता पार्वती को ‘तीज माता’ के नाम से भी जाना जाता है।
अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह त्यौहार भारतीय परंपरा में पति – पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने और आपस में श्रद्धा और विश्वास कायम रखने का त्योहार है । कुंवारी कन्याएं इस व्रत को रख शिव जैसे वर की कामना करती हैं। हरतालिका तीज को कई स्थानों पर ‘तीजा’ के नाम से भी जाना जाता है। हरितालिका तीज की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में की जाती है। भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बना कर, माता पार्वती को सुहाग की सभी वस्तुएं और भगवान शिव को धोती और अंगोछा अर्पित किया जाता है । जिन्हें बाद में ब्राह्मणों को दे दिया जाता है।
अगर वैज्ञानिक दृष्टि और लॉजिकली देखा जाए तो इस दिन सोने-चांदी के गहनों से कहीं अधिक फूलों के आभूषणों को महत्व दिया जाता है। हाथों पर मेहंदी लगाना शुभ होता है, इससे शरीर को शीतलता प्रदान होती है। अगर किसी को त्वचा संबंधी रोग हो तो उससे भी राहत मिलती है । माथे पर लगाने वाला सिंदुर एक तरफ सुहाग की निशानी और दूसरी और इसे लगाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। मंगलसूत्र को पहनने से जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है। व्रत में स्वर्ण पहनने का भी महत्व है, क्योंकि स्वर्ण आभूषणों से खूबसूरती के साथ-साथ हृदय संबंधी रोग नहीं होते। इसके अलावा हाथों में चूड़ी – कंगन पहनने से रक्त – संचार ठीक प्रकार से होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार पैरों में चांदी की पायल पहनने से हड्डियां मजबूत होती हैं। कानों में आभूषण पहनने से मानसिक तनाव से मुक्ति तथा कर्णछेद से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
इस प्रकार हरितालिका तीज का व्रत और इस व्रत में किए जाने वाले विधि-विधान कई धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टि से महत्व रखते हैं। पति-पत्नी के बीच संबंधों में गहनता लाने के साथ-साथ यह व्रत संपन्नता, प्यार, विश्वास, स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क भी प्रदान करता है।
लक्ष्मी सैनी