गीत/नवगीत

एक रहेंगे सदा-सदा

एक थे हम सब, एक रहे हैं, एक रहेंगे सदा-सदा
छोटे-मोटे झगड़े चाहे, चलते रहते यदा-कदा-

1.कई सदियों तक राज किया था मुगलों ने इस भारत पर
कैसे कैसे जुर्म सहे थे हमने अपने ही घर पर
अपनी ही हिम्मत से हमने, टाली थी यह भी विपदा
एक थे हम सब एक रहे हैं, एक रहेंगे सदा-सदा–

2.आए जो व्यापारी बनकर वे राजा थे बन बैठे
उन अंग्रेजों के आगे हम सब, दुम दबाकर थे पैठे
आज मगर आजाद हैं हम सब, अब न पड़ेगी यह विपदा
एक थे हम सब एक रहे हैं, एक रहेंगे सदा-सदा———–

3.यह मत समझो सच्ची है यह, हमें मिली जो आजादी
मन से हैं परतंत्र अभी तक, करते अपनी बरबादी
हम परतंत्रता के कलंक को, खत्म करेंगे सदा-सदा
एक थे हम सब एक रहे हैं, एक रहेंगे सदा-सदा———–

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244