धरती आपा
धरती बचाने के लिए सिर्फ पेड़ नहीं, पक्षी भी बचाने जरूरी ! वैसे 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस है, इसलिए 9 अगस्त को बिहार पृथ्वी दिवस मनाने की क्या आवश्यकता है, जबकि दोनों स्थिति में वृक्षारोपण कर पेड़ ही लगाने हैं । हम यह गलत भ्रांति पाले हैं कि सिर्फ पेड़-पौधे लगाने से ही धरती बच जाएगी । इसे बचाने के लिए हमें पक्षियों को भी विलुप्त होने से बचाने होंगे । गोरैया के आहार में आजकल कमी आयी है, जिससे गौरैया को खाने के लिए चीजें नहीं मिल रही हैं। गोरैया कीड़ों को भी खाना पसंद करती है, लेकिन शहरों में ढकी नालियों के चलते अब गोरैयों के लिए कीड़ों की उपलब्धता में भी भारी कमी आई है, जिससे उनका जीवन असहज हुआ है। इस पक्षी की सैकड़ों प्रजातियां दुनिया के हर कोने में पाई जाती हैं, लेकिन प्राकृतिक स्थलों के बदलाव के कारण अब इनकी संख्या में तेजी से कमी हो रही है ।
विश्व पर्यावरण दिवस पर गोरैया की संरक्षण के बारे में सोचें ! एक रपट के अनुसार, सिर्फ गोरैया ही नहीं, वरन दुनिया की हर 8वीं चिड़िया की प्रजाति पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। अमेरिकी संस्था ‘कार्नेल लैब’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1966 की संख्या के आधार पर गोरैया की संख्या में 84% तक की कमी आई है। ब्रिटेन में गोरैया की संख्या अब आधी से भी कम रह गई है। इस पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही प्रतिवर्ष 20 मार्च को विश्व गोरैया दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने 2010 में गोरैया पर डाकटिकट जारी किया और दिल्ली सरकार की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने वर्ष 2012 में गौरैया को दिल्ली का राज्य पक्षी घोषित की। हमें युद्धस्तर पर इस मासूम पक्षी के संरक्षण के लिए अतुलनीय प्रयास करने ही पड़ेंगे, तभी हमारी पीढ़ी इसे देख पाएंगी!