माँ काली
एक तुम ही तो हो माँ काली
जो मेरे लिए
वक्त के हर पन्ने को
पलट सकती हो।
एक तुम ही तो हो माँ काली
जो मेरे लिए
काल से क्या
महाकाल से भी लड़ सकती हो।
एक तुम ही तो हो माँ काली
जो मेरे लिए
दसों दिशाओं को थाम कर
मुझे पाल सकती हो।
एक तुम ही तो हो माँ काली
जो सुगुण निर्गुण से परे होकर भी
मेरा हाथ थाम कर
मेरे साथ चल सकती हो।
एक तुम ही तो हो माँ काली
जो जीवन के हर पक्ष को उलट कर
मेरा राज्य उदय कर सकती हो।
एक तुम ही तो हो मां काली
जो मेरा हाथ थामकर
जीवन मृत्यु के भय से
मुझे मुक्त कर सकती हो।
एक तुम ही तो हो माँ काली
जो सृष्टि के आदि और अंत में भी
मुझे अपनी गोद में उठा
प्यार कर सकती हो।
— राजीव डोगरा ‘विमल’