कविता

वृद्ध …….नहीं बुद्ध

क्यों…. हम ,
वृद्ध अवस्था पर शोक करें।
हमनें जिंदगी की,
एक लम्बी लड़ाई लड़ी है।
तो क्या…..?
अब लड़ना छोड़ दें।
हमनें हकीकतों के,
तजुर्बे काटे है।
वृद्ध अवस्था में,
नकारात्मक सोच को
सबसे पहले दिमाग से काट दे।
दीजिए अपने ,
हुनर का खजाना।
मत सोचिये…..!
सहारा कौन होगा।
सींचे अपना दायरा।
अपनी बुद्धता से,
हर हाथ फिर,
शक्ति स्तम्भ होगा।
तब हर वृद्ध,
वृद्ध नहीं बुद्ध होगा।।
— प्रीति शर्मा “असीम”

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]