लघुकथा

अंतिमा की दीदी

अंतिमा की दीदी होने के नाते आप मेरी भी ‘दीदी’ हुई। आनंद के मुँह से ‘दीदी’ सुनकर अंतिमा की दीदी को बुरा तो नहीं लगा, लेकिन अच्छा भी नहीं लगा । आनंद आगे कुछ कहते, परंतु उनसे पहले अंतिमा की दीदी ने बगल में बैठी सरोज को देखती हुई कहने लगी-
आनंद जी, प्यार वह भावना है, जो परिचित-अपरिचित माहौल नहीं देखता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह भावना बताई ही जाय, परंतु अगर बता भी दिया जाय, तो यह संभव नहीं कि सामनेवाला भी आपकी भावनाओं का कद्र करें…, लेकिन मुझे आपकी यह बातें ही अच्छी लगती है कि आप मेरी भावनाओं का कद्र कर यहाँ तक आयें। मैं रात से लाडो को यही समझा रही हूँ कि तुम अपनी भावनाओं को मारकर मुझे खुशी क्यों देना चाह रही हो, लेकिन यह बेहद ज़िद्दी है । मैं इसे समझाती रही कि प्यार में पवित्रता होनी चाहिए, जैसे आप दोनों का प्यार। मुझे आपसे प्यार हुआ तो है, लेकिन आपके व्यक्तित्व से और मेरी लाडो तो आपके लिये ही बनी है, लेकिन अंतिमा की दीदी की बातों के दरम्यान आनंद को यह मालूम लग गया कि अंतिमा को उनकी दीदी ‘लाडो’ ही कहती हैं, परंतु आनंद के मन में यह बात आ गयी कि अंतिमा की दीदी की बातें ऐसी है कि उन्हें भी उनकी व्यक्तित्व से प्यार न करा दें।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.