5 वेदनाजनित कविताएँ
1.
शब्द
शब्द से खुशी,
शब्द से गम;
शब्द से पीड़ा,
शब्द ही मरहम !
शब्द चाहे जैसे हो..
मन को खुश करे
तो अर्थ है;
वरना व्यर्थ है !
2.
हग
हर बालिग
युवती भी
‘हग’ यानी आलिंगन
के मोर्चे पर
संघर्ष करती
नजर आती हैं !
3.
तन खराब
वास्तव में
‘तन’ बीमार पड़ता है
या तकलीफ़ में होता है,
किन्तु कहा यह जाता है
कि ‘मन’ खराब है !
4.
रोटी
यह रोटी नहीं जली है,
मेरी खोटी दिलजली है।
रोटी-रोटी के लाले,
रंग-बदरंग काले !
खुद रोटी बेली है,
ना कोई चमेली है।
हूँ नियोजित लाश,
कोर्ट से थी आश।
पर सरकार किए
बदहवास,
विरोधी हुए निराश !
5.
बया
‘बया’ पक्षी अपनी पत्नी को
रिझाने के लिए
500 बार उड़कर
सुदूर ऊँचाई पर
घोंसला बनाते हैं,
सुन रहे हैं
रे दुष्ट मनुष्य !