मृत्यु से कोई नहीं बच पाए !
वरिष्ठ संपादक और उच्चायुक्त रहे कुलदीप नैयर सर सटीक और बेबाक टिप्पणी के लिए भी जाने जाते हैं । वर्ष 1995 में दिल्ली में एक अवार्ड फंक्शन में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. कुलदीप नैयर से रूबरू हुआ था। वे नेहरू जी और शास्त्री जी के बेहद करीबी थे। आर एस एस और भाजपा के विरुद्ध रहे, किन्तु वाजपेयी जी के करीब रहे ! प्रधानमंत्री मोदी जी के विरोधी पत्रकारों में एक थे ! वे उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी भाषा-त्रय के पत्रकार रहे हैं। अगस्त 1923 में जन्म और अगस्त 2018 में मृत्यु।
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श्रद्धेय युगेश्वर प्रसाद को तब से जान रहा हूँ, जब मैं कक्षा 3 या 4 का छात्र था ! वे हमारे यहाँ अक्सर आते थे, रात भी ठहरते थे, तब सिर्फ स्वजाति के विकास से संबंधित बातें ही होती, जिनमें मेरे दादाजी, उनके भाई नवीन दादा, कृष्णमोहन दादा, अयोध्या दादा, फणीभूषण दादा, चंद्रमोहन फूफा, मेरे चाचा इत्यादि रहते थे ! मैट्रिक आते-आते मैं बाबूजी के अर्जक विचारों से अनुप्राणित हुआ, तब शायद श्रद्धेय छेदी पंडित चाचा और श्री प्रणयी सर अध्यात्म के साथ-साथ इन विचारों से जुड़ रहे थे, इसी बीच देवेश जी और किशोर लेखनी के लंगोटिया यार बन गया…. एक दिन बाबूजी की उपस्थिति में ‘बाल दर्शन’ की प्रधान संपादिका श्रद्धेया मानवती आर्य्या से ‘अर्जक निवास’ पर मुलाकात, लंबी बातचीत भी हो पाई ! अर्जक निवास में बाबूजी के साथ रातें भी बिताई है और अंतिम यात्रा में भी साथ था…. यादें अमर रहेगी, बाबूजी ! आप तो उन यादों में रहेंगे ही!