लघुकथा

दुलार और प्यार!

मां के दुलार और पिता के प्यार के बारे में बहुत कुछ लिखा-कहा-सुना जा चुका है, लेकिन किस्सा बयां करना अभी बाकी है. सच तो यह है कि इस बारे में जितना कहा-लिखा-सुना जाए, कम है. ममता असीम है और प्यार निस्सीम!

39 वर्षीय हथिनी पोरी को उसके पुराने घर (बर्लिन जू) से मध्य जर्मनी के हल्ले शहर की बर्ग जू में शिफ्ट किया गया, जहां वो अपनी 19 साल की बेटी से 12 वर्षों बाद मिली. इतना ही नहीं, वो पहली बार अपनी 4 साल की नातिन तमिका से भी मिली. सभी ने अपना प्यार जाहिर करने के लिए एक-दूसरे की सूंड को टच किया.
कुदरत के बीच, हाथी हमेशा एक परिवार की तरह रहते हैं. और हां, हर फैमिली ग्रुप का एक लीडर होता है जो उनका नेतृत्व करता है. यह भी देखा गया है, कि हाथियों में बेटियां, मां के साथ रहती हैं जबकि बेटे जवान होने के बाद झुंड छोड़ देते हैं. उन्हें भी स्वामित्व करना होता है, यह मां को स्वीकार्य होता है. हाथियों में इतना अनुशासन और ममता!

इसे कहते हैं मां का दुलार!

मनुष्यों में भी मां के दुलार और पिता के प्यार का कोई जवाब नहीं. अब देखिए न!
पंजाब के लुधियाना में एक पिता ने बेटे के लिए जुगाड़ से घर बैठे स्कूटर जैसी दिखने वाली साइकिल बना डाली. बेटे को नई साइकिल चाहिए थी, पर कोरोना के चलते पिता अपने बेटे को नई साइकिल नहीं दिला पा रहे थे. इसलिए पिता ने घर पर साइकिल बनाई, जो सामने से स्कूटर जैसी लग रही है, चलती वो साइकिल की तरह पैडल मारने से है. कोरोना में एक नई चीज मिल गई, बच्चे को तो खुश होना ही था!

इसे कहते हैं पिता का प्यार!

मां पृथ्वी है ममता का बहता सागर है, पिता कर आकाश-सी छत्रछाया देता प्यार अपार!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244