सामाजिक

सबसे बड़ी नेमत उत्तम स्वास्थ्य

उत्तम स्वास्थ जिंदगी की सबसे बड़ी नेमत है | स्वस्थ शरीर और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम हो उसके लिए मानव को सदैव जागरूक रहना चाहिए | अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ वक्त प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए निकालना चाहिए जिससे वह अपने लिए अपने शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ कर सके | उत्तम स्वास्थ्य के लिए-
हृदय और मस्तिष्क को सदैव सकारात्मक सोच ऊर्जा और प्रसन्नता से भरा रखना चाहिए, तभी व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ होगा, और चित्त स्थिर तथा शांत रहेगा |
नकारात्मक विचारों को भूले से भी दिल और दिमाग में प्रवेश नहीं करने देना चाहिए | क्यों कि यह सदा मनोबल को कम करता है | उत्तम स्वास्थ्य के लिए यही श्रेयस्कर है |

जब दिमाग शांत चित्र, प्रसन्न होगा व्यक्ति में ऊर्जा का संचार बना रहेगा |
व्यक्ति में इसके साथ-साथ दिनचर्या का नियमित होना बहुत जरूरी है | नियम और संयम का होना उत्तम स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है | समय से सोना, समय से जागना, समय से भोजन करना अति आवश्यक है,इसका मनुष्य को सदैव ध्यान रखना चाहिए |
नियमित प्राणायाम और योग का दिनचर्या में उचित स्थान अवश्य होना चाहिए | व्यक्ति छोटी-छोटी बातों से तनावग्रस्त हो जाता है और स्वयं बीमारी को निमंत्रण दे देता है |
तनाव लेने से समस्याएं बढ़ती हैं ; दूर नहीं होती उसे हल करने के लिए अपनी आत्म ऊर्जा को प्रयोग में लाना चाहिए | लोग कार्य की भागा-दौड़ी में कभी-कभी नाश्ता छोड़ कर चले जाते हैं ,तो कभी भोजन बेवक्त करते हैं | आहार ले लेना ही काफी नहीं है, आवश्यक है आहार का उचित समय में लिया जाना | वक्त – बेवक्त आहार लेने का परिणाम पाचन शक्ति को कंट्रोल करने वाला तंत्र अपनी उर्जा, अपनी क्षमता को कम करने लगता है ; फल रूप हम पेट के मरीज बनते जाते हैं और वायु कफ़, पित्त के शिकार होने लगते हैं | कहने में यह तीन शब्द बहुत ही छोटे हैं, पर समस्त विकारों की जड़ यही होते हैं |

अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम संजीवनी का काम करता है | इसलिए कुछ वक्त हर मनुष्य को अपने लिए निकालना आवश्यक है | स्वस्थ मानव ही स्वस्थ परिवार, स्वस्थ समाज और समुन्नत देश का विकास कर सकता है |
प्रातः भ्रमण और योग को अपने खुशहाल जीवन का मूल मंत्र बनाकर व्यक्ति उत्तम जीवन जीने योग्य बनजाता है |
गुनगुना पानी प्रातः और रात्रि को अवश्य लेना चाहिए ऐसा करने से बहुत सी समस्याओं का निदान स्वयं ही हो जाता है स्वच्छता भी स्वास्थ्य के लिए बहुत अहम भूमिका निभाती है | स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को बहुत हद तक बनाए रखना व्यक्ति के अपने हाथ में होता है | बस आवश्यकता है निम्न बिंदुओं पर ध्यान देने की ,जैसे–
1- अपने स्वाद कलिकाओं पर अंकुश रखना

2–संतुलित भोजन करना
3–नियमित व्यायाम प्राणायाम और सैर करना
4–नियमित दिनचर्या अपनाना
5–शरीर को साफ सुथरा रखना
6–आसपास के वातावरण को साफ रखना

7–उत्तम संतुलित आहार का सेवन
8–रात्रि की पूरी नींद अर्थात 6 से 7 घंटे तक सोना

9–प्रातः सैया त्याग के उपरांत तीन से चार गिलास पानी का सेवन
10–रात्रि को सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने पानी का सेवन
11– पूरे दिन में 10 से 12 गिलास पानी का सेवन

12–उत्तम और सकारात्मक सोच

उपरोक्त जीवन शैली स्वस्थ शरीर के निर्माण में सहायक होती है यह हमारे ऊर्जा के स्तर को बढ़ाती है | आत्मविश्वास को बढ़ाती है | रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करती है, फलस्वरूप हम कम बीमार पड़ते हैं |
उत्तम स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है | शरीर और मन दोनों का अच्छा होना जीवन में सफलता प्राप्त करने और आनंद से जीवन जीने में सहायक सिद्ध होता है | स्वस्थ शरीर की शारीरिक क्षमता आत्मविश्वास बढ़ाती है और परेशानियों से उबारने में सहायक सिद्ध होती है, इसलिए उत्तम स्वास्थ्य को प्राप्त करने के हर पहलू पर हमें अवश्य ध्यान देना चाहिए |
— मंजुषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016