लेख

हालात मुश्किल हैं नामुमकिन नहीं

त्यौहारों का मौसम शुरू हो चुका है,किंतु यह वर्ष हम सबके लिए एक सामान्य वर्ष जैसा नहीं है। प्रति वर्ष हम हर त्यौहार को बड़ी ही धूम-धाम से मनाते हैं, किंतु इस वर्ष सब समस्याओं की गिरफ्त में हैं। हम सब भली – भांति जानते हैं कि इस समय भारत ही नहीं पूरा विश्व ही ‘कोरोना संक्रमण’ जैसी त्रासदी से गुज़र रहा है। जिसका अभी तक कोई उपयुक्त इलाज ईज़ाद नहीं हुआ है। सावधानी और बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। ‘कोरोना संक्रमण’ के दौरान हम सबको ही बचाव के रूप में सामाजिक दूरी व मास्क का पालन करते हुए अपने- अपने घर पर ही रहना है और कई प्रकार से सावधानी बरतनी हैं। इन कारणों से हम सभी प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष अपने त्यौहारों को नहीं मना पाएंगे, लेकिन इस बात को लेकर हमें मायूस होने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है।  मायूस होने की अपेक्षा हमें पूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यद्यपि अनलॉक की प्रक्रिया धीरे-धीरे प्रारंभ हो गई है किंतु स्थिति अभी इतना सुधार नहीं हुआ है कि हम पूरी तरह से बेफिक्र होकर बिल्कुल सामान्य हो जाएँ। दिल्ली जैसे बड़े-बड़े शहरों में आज भी संक्रमितों की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है, किंतु राहत की बात यह है कि अब सरकार, डॉक्टर, पुलिस और सामान्य जनता भी सबकी कोशिशों से लड़ना सीख गए हैं।
         अब जब हम लड़ना सीख गए हैं, तो इस साल सभी त्योहारों को मनाएगें जरूर है, पर पूरी सावधानी के साथ, क्योंकि हमारी एक छोटी सी चूक  भी हमारे लिए संक्रमण का खतरा ला सकती है। इसलिए अनलॉक होने पर हमें हर कदम बहुत ही सावधानी से रखना है। इसके लिए सबसे पहले जरूरी  फिर से वही है कि हम अपनी सुरक्षा के नियमों का कड़ाई से पालन करें।
           बारिश का मौसम चल रहा है। नमी वाले मौसम की वजह से सामान्यतः ही बहुत सी बीमारियां जैसे, सर्दी – जुखाम, खांसी, सिर दर्द, बुखार, शरीर में दर्द,  फंगल इंफेक्शन,  बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। लेकिन इस बार इनके बचाव के साथ-साथ कोरोना संक्रमण से भी बचाव करना है, क्योंकि कोरोना संक्रमण का वायरस कम तापमान और ज्यादा आद्रता वाले स्थानों पर जल्दी पनप जाता है। इसलिए  हमें नमी से अधिक से अधिक बचाव करने की कोशिश करना है।
         भारत और जर्मनी के वैज्ञानिकों के एक दल के अनुसार कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सामाजिक दूरी और मास्क लगाने के साथ-साथ घर के अंदर ही आद्रता को नियंत्रित करना जरूरी है। घरों के साथ-साथ ऐसे कई जगहों फर जहाँ बहुत से लोग कार्य करते हैं जैसे, अस्पताल, कार्यालय या सार्वजनिक वाहन आदि के भीतर का मानक तय किया जाए।
          ‘एरोसॉल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च’ नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र में वैज्ञानिकों ने आद्रता के अध्ययन का मुख्य आधार बनाया है और बताया कि 40 से 60 व्यास वाली बूंदे हवा में 9 मिनट तक कर सकती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार बूंदों में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं पर आद्रता का प्रभाव पड़ता है। इसलिए सतह पर उपस्थित आद्रता वायरस की सक्रियता या निष्क्रियता के लिए जिम्मेदार होती है। इसलिए सीएसआइपीएल के वैज्ञानिक तथा शोध के सह लेखक सुमित कुमार मिश्रा ने कहा है, आद्रता का प्रतिशत भवनों और स्थानीय परिवहन में कम से कम 40% से कम हो। जो कोविड-19 के प्रभाव को कम करता है।
       इसी के साथ-साथ त्यौहारों के दौरान सार्वजनिक जगहों पर समूह के रूप में इकट्ठा न होकर अपने-अपने घरों के अंदर प्रत्येक त्यौहार को शांति और आनंद के साथ मनाएँ। बाजार और बाहर की  खाद्य सामग्री का प्रयोग सावधानी से करें। हो सके तो मिठाइयाँ घर पर ही बनाएं।
       अंततःइन सबके चलते मन में उदासी या दुख लाने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं। क्योंकि हमारी सावधानी और नियमों का पालन ही हमारी और हमारे अपनों की सुरक्षा का एकमात्र उपाय है। हम भारतवर्ष के निवासी हैं जहां अपनों के लिए कुछ भी कर जाते हैं तो यह तो सुरक्षा की बात है। यह जंग भी हम जीत ही जाएंगे क्योंकि ‘ हालात मुश्किल हैं, ना मुमकिन नहीं’।
                                      लक्ष्मी सैनी

लक्ष्मी सैनी

असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, माइक्रोबायलॉजी अम्बाह पी.जी. कॉलेज अम्बाह, अम्बाह, मुरैना (मध्यप्रदेश) मोबाइल-+916261457948 ईमेल[email protected]