बाल कविता

बढ़े जगत में खुशहाली

हे गणेश सज्जन का संग दो, किस नक्षत्र में गणपति उत्सव हेतु ...
सद्बुद्धि का दो वरदान,
सत्पथ दिखला कर प्रभु हर लो,
मेरे तन मन का अज्ञान.
मुस्काते हों चेहरे सबके,
रहे धरा पर हरियाली,
हे प्रभु करुणा करते रहना,
बढ़े जगत में खुशहाली.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244