कुण्डलीया छंद
🌻कुण्डलीया छंद🌻
🌻१🌻
सुन्दर ऐसा चाहिए ;जो मन मंजुल होय
सुंदर सदैव, मन भला ;तन छवि देता खोय
तन छवि देता खोय; बूढ़ा तब तन ना भावै
फीकी आंखें होय; गात श्वेत ना लुभावै
अरूणिम अधर खोय :जर्जर हो काया मंदर
कह सुनी बना रहे; सु मन सदा ही सुंदर
🌻२🌻
संतोष उर धरे सदा:लोभ कभी ना आय
सुखी रहें जीवन सदा :चैन कभी ना जाय
चैन कभी ना जाय : आनन्द सदा मनावै
खुशी पाय हर हाल: नित नए मोद मनावै
सुख भले वो पाय :चाहे आवै दुख दोष
सुनी सभी सुख आय: जब आ जावै संतोष
२४/८/२०२०
🌻स्वरचित : सुनीता द्विवेदी🌻
🌻कानपुर उत्तरप्रदेश 🌻