ग़ज़ल
मेरी क़िस्मत की ये कहानी है ।
सिर्फ़ बिखरी सी ज़िंदगानी है।
अब्र छाए तो आँख भर आई
कैसे कह दूँ कि रुत सुहानी है
लाख दुश्वारियाँ हैं राहों में
फिर भी मंज़िल तो मुझको पानी है
हौसलों से ही जीत जाऊँगी
अब जो करने को मन में ठानी है
जब ‘किरण’ने किया है ये वादा
हर ग़ज़ल फिर तो गुनगुनानी है
— इंदु मिश्रा ‘किरण’